नियम सबके लिए एक हो महाकाल लोगों की आस्था का प्रतीक। दूर-दूर से लोग इस ज्योतिर्लिग के दर्शन करने आते हैं। हर कोई चाहता है कि गर्भगृह में जाकर बाबा के दर्शन और उनका अभिषेक करे। गर्मियों की छुट्टी में दर्शन के लिए भारी भीड़ उमड़ रही है। भीड़ के साथ बढ़ रही हैं महाकाल प्रशासन की परेशानियां। मंगलवार को ही बाबा के दर्शन ढंग से नहीं होने को लेकर श्रद्धालुओं ने भारी हंगामा कर दिया। उसके बाद निर्णय लिया गया कि सुबह 11 से शाम 5 बजे तक गर्भगृह में प्रवेश बंद रखा जाएगा। गलती किसी की भी हो, लेकिन आम श्रद्धालु ही इससे सबसे ज्यादा परेशान होता है।
महाकाल के दर्शन के लिए देश ही नहीं विदेश से भी श्रद्धालु आते हैं। जब वे इतने पास होते हुए भी गर्भगृह में नहीं पहुंच पाते तो निराशा स्वाभाविक है। हंगामे के बाद हरियाणा से आए एक श्रद्धालु का कहना था कि वह अब कभी महाकाल नहीं आएंगे। ये मात्र उज्ौन नहीं बल्कि प्रदेश की प्रतिष्ठा का प्रश्A है। आए दिन होने वाले हंगामे के लिए किसी एक को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। इसके लिए महाकाल प्रशासन, पंडे-पुजारी और श्रद्धालु सभी कुछ हद तक जिम्मेदार हैं। सबसे अधिक समस्या पैदा करते हैं वीआईपी। लगभग रोजाना महाकाल में कोई-न-कोई वीआईपी दर्शन के लिए आता है।
वीआईपी की व्यवस्था करने में ही अव्यवस्था फैलती है। घंटों लाइन में खड़े होकर गर्भगृह के पास पहुंचने वालों को जब पता चलता है कि कोई वीआईपी दर्शन कर रहा है, इसलिए उन्हें रोका गया है तो उनके सब्र का बांध टूट जाता है। वीआईपी के लिए वैसे तो कहीं कोई नियम मायने नहीं रखते, लेकिन भगवान के दरबार में तो सभी को एक माना जाना चाहिए। अलबत्ता जिनकी सुरक्षा को खतरा है, उन्हें इससे छूट दी जा सकती है। इसकी एक कड़ी पंडे-पुजारी भी हैं। चंद रूपयों के लालच में यजमानों को गर्भगृह में ले जाकर अभिषेक करवाने के लिए वे नियमों का ध्यान नहीं रखते। इधर गर्भगृह में भीड़ बढ़ी और उधर प्रवेश बंद हुआ। कई बार श्रद्धालु भी मनमानी पर उतारू हो जाते हैं।
वो चाहते हैं कि सबसे पहले उन्हें ही दर्शन हों। इसके कारण भी गड़बड़ी होती है और सुरक्षा गार्डो से तनातनी होती है। वीआईपी व्यवस्था में सुधार, पंडे-पुजारियों पर लगाम व श्रद्धालुओं को सुविधा देकर अप्रिय स्थिति से बचा जा सकता है। नियम कड़े बनाए जाएं और उसका पालन नहीं करने वालों पर कड़ी कार्रवाई हो तभी व्यवस्था में सुधार हो सकता है। अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग नियम बनाना ठीक नहीं है। नियम सबके लिए एक होने चाहिए। कुछ खास त्योहारों जैसे शिवरात्रि, संक्रांति आदि पर गर्भगृह में प्रवेश बंद करना निश्चित ही उचित है, लेकिन आम दिनों में महाकाल प्रशासन को इससे बचना चाहिए।
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